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राष्‍ट्रीय स्‍वयंसेवक संघ सरसंघचालक मोहन भागवत का पांच दिवसीय अलीगढ़ दौरा समाप्त, इन मुद्दों पर

राष्‍ट्रीय स्‍वयंसेवक संघ सरसंघचालक मोहन भागवत का पांच दिवसीय अलीगढ़ दौरा समाप्त, इन मुद्दों पर

UP News: राष्‍ट्रीय स्‍वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने पारंपरिक भारतीय पारिवारिक मूल्यों को पुनर्जीवित करने और पुनर्निर्माण की तत्काल आवश्यकता पर जोर दिया है. आरएसएस प्रमुख ने अलीगढ़ में अपने पांच दिवसीय दौरे का समापन संघ कार्यकर्ताओं से सामाजिक सद्भाव और राष्ट्रीय पुनरुत्थान के लिए महत्वपूर्ण सिद्धांतों को बनाए रखने और उनका प्रचार करने का आह्वान करते हुए किया.

सोमवार को अपने दौरे के अंतिम दिन मध्य उत्तर प्रदेश के बृज क्षेत्र के आरएसएस पदाधिकारियों के साथ बातचीत में भागवत ने पारंपरिक भारतीय पारिवारिक मूल्यों को पुनर्जीवित करने और पुनर्निर्माण की तत्काल आवश्यकता पर जोर दिया और इसे ‘भारतीय समाज की आधारशिला’ बताया.

उन्होंने लोगों को उन बुनियादी प्रथाओं की याद दिलाई जो प्राचीन काल से पारिवारिक जीवन का हिस्सा रही हैं. उन्होंने परिवार में साझा भोजन पर जोर देते हुए कहा कि भोजन के समय जैसे पारिवारिक समारोहों का मूल्य समाज के नैतिक मानकों की धुरी बन जाता है. भागवत ने कहा कि दूसरा बुनियादी सिद्धांत ‘समरसता’ के मूल्य को विकसित करने की आवश्यकता है जो समाज के भीतर सद्भाव की ओर ले जाता है और सामाजिक तनाव को दूर करता है.

उन्होंने आरएसएस प्रचारकों से जाति-आधारित भेदभाव को खत्म करने की दिशा में सक्रिय रूप से काम करने का आग्रह किया. उन्होंने जाति आधारित भेदभाव को एक विभाजनकारी ताकत बताया जो सामाजिक ताने-बाने को कमजोर करती है.

भागवत ने सामाजिक रूप से एकजुट और समतापूर्ण भारत की नींव रखने में भूमिका के लिए डॉ. भीमराव आंबेडकर को याद किया. उन्होंने कहा, ‘आधुनिक भारत में सुधार और न्याय की भावना का संचार करने के लिए राष्ट्र आंबेडकर का ऋणी है.’

पर्यावरण संरक्षण पर अधिक ध्यान देने का भी आह्वान
आर्थिक मामलों पर, आरएसएस प्रमुख ने स्वदेशी की भावना को पुनर्जीवित करने के महत्व को रेखांकित किया और लोगों से स्वदेशी परंपराओं और कौशल पर आधारित घरेलू रूप से निर्मित उत्पादों को संरक्षण देने का आग्रह किया.

उन्होंने कहा कि स्वदेशी लोकाचार न केवल अर्थव्यवस्था को मजबूत करता है बल्कि सांस्कृतिक विरासत को भी संरक्षित करता है.

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भागवत ने पर्यावरण संरक्षण पर अधिक ध्यान देने का भी आह्वान किया. उन्होंने भारत की प्राकृतिक विरासत की रक्षा करने की आवश्यकता रेखांकित की, जिसमें इसके वन्यजीव और गांव के तालाबों और झीलों जैसी जल प्रबंधन की पारंपरिक प्रणालियाँ शामिल हैं.

आरएसएस प्रमुखने ‘नागरिक जिम्मेदारी’ को बढ़ावा देने पर जोर दिया. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है कि वह अपने दैनिक आचरण में राष्ट्र निर्माण में योगदान दे.

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